भाषा

'संथाल' जनजाति झारखंड राज्य की प्रमुख जनजातियों में से एक है. 'संथाली' भाषा आष्ट्रिक भाषा परिवार की भाषा है. 'संथाली' भाषा मुण्डा भाषा की ही एक शाखा है. मुण्डा भाषा से निकली हो, भूमिज, कोल भाषा है.
भारत में बोली जाने वाली आष्ट्रिक भाषाएँ आस्ट्रो एशियाटिक और भारत से परे पायी जाने वाली आष्ट्रित भाषा आस्ट्रोनोशियन भाषा समूह में आती है जिस तरह मानव समुदाय को चार प्रमुख शाखाओं या प्रजाति कौसासोएड, मोंगोलोयेड, आस्ट्रोलोएड और निग्रोलोएड में बांटा जा सकता है. ठीक इसी तरह भाषा परिवार को भी चार भागों में बांटा जा सकता है. जैसे इंडोनेशियन, द्रविड़ियन, आस्ट्रोएशियाटिक तथा सिने तिब्बेतन में परिसीमित किया गया है. संथाली भाषा मुण्डा परिवार की भाषा तो है ही जो भारत की सबसे प्राचीनतम भाषा है.
संथाली भाषा की लिपि को 'ओलचिकी' कहा जाता है पंडित रघुनाथ मुर्मू (ओडिसा) ने 1925 ई. में ओलचिकी की आविस्कार किया.

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