पर्व-त्योहार
हमारे देश में पर्व त्योहारों का अपना एक महत्त्व है. ये पर्व त्योहार देवी-देवताओं से, फसलों, फल-फूलों , मौसम से जुड़ेे होते है. अन्य जाति या समाज की तरह ही 'संथाल' समाज में भी मनाए जाने वाले पर्व त्योहार होते है. जिन्हें लोग सदियों से मनाते आ रहे है.
चूँकि 'संथाल' समुदाय के लोगों का संबंध प्रकृति के साथ काफी निकट का होता है, इसका रहन-सहन, जीवन स्तर प्रकृति से ही संचालित होता है और इनके पर्व त्योहार भी प्रकृति से ही संबंधित होतेहै. संथाल' जाति में माने जाने वाले पर्व त्योहार निम्नलिखित है-
इन सभी त्योहारों का प्रकृति यानि फल-फूलों, फसलों के साथ संबंध होता है. लोग अपने पर्व त्योहारों को उन्मुख हो पूरी जिंदगी जीने की शैली में मनाते है.
पर्व त्योहारों के समय अपनी गरीबी-अमीरी, सुख-दुख आपसी मन-मुटाव , आज-कल सभी बातें भूल कर हर्षो-उल्लास के साथ मनाते है, संथाल समाज में एक पुरानी कहावत है- रोड़ गे सेरेञ , ताड़ाम गे ऐनेज
चूँकि 'संथाल' समुदाय के लोगों का संबंध प्रकृति के साथ काफी निकट का होता है, इसका रहन-सहन, जीवन स्तर प्रकृति से ही संचालित होता है और इनके पर्व त्योहार भी प्रकृति से ही संबंधित होतेहै. संथाल' जाति में माने जाने वाले पर्व त्योहार निम्नलिखित है-
इन सभी त्योहारों का प्रकृति यानि फल-फूलों, फसलों के साथ संबंध होता है. लोग अपने पर्व त्योहारों को उन्मुख हो पूरी जिंदगी जीने की शैली में मनाते है.
पर्व त्योहारों के समय अपनी गरीबी-अमीरी, सुख-दुख आपसी मन-मुटाव , आज-कल सभी बातें भूल कर हर्षो-उल्लास के साथ मनाते है, संथाल समाज में एक पुरानी कहावत है- रोड़ गे सेरेञ , ताड़ाम गे ऐनेज